इंदौर BRTS कॉरिडोर हटाने का हाईकोर्ट का आदेश, बढ़ते यातायात अवरोध को देखते हुए जनहित याचिका पर आया फैसला
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इंदौर के बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (BRTS) कॉरिडोर को हटाने का अहम फैसला सुनाया है। यह आदेश चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किया। यह फैसला इंदौर के नागरिकों के लिए एक बड़ी राहत की तरह देखा जा रहा है, क्योंकि लंबे समय से BRTS कॉरिडोर को लेकर कई शिकायतें सामने आ रही थीं।
क्या है मामला?
इंदौर के BRTS कॉरिडोर को लेकर एन एम कुरैशी और के डी कोडवानी नामक नागरिकों ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं के वकील अजिंक्य दगांवकर ने अदालत में तर्क दिया कि यह कॉरिडोर यातायात की बढ़ती संख्या के अनुरूप नहीं है और अब यह लोगों के लिए असुविधा का कारण बन गया है। उनका कहना था कि जब यह सिस्टम लागू किया गया था, तब इंदौर में वाहनों की संख्या इतनी अधिक नहीं थी, लेकिन आज यह शहर के सुचारु यातायात के लिए एक बड़ी बाधा बन चुका है।
BRTS कॉरिडोर से जुड़ी समस्याएं
- यातायात जाम: इंदौर में बढ़ते वाहन भार के कारण BRTS कॉरिडोर अब यातायात जाम की समस्या को और बढ़ा रहा था।
- गलत पार्किंग और दुर्घटनाएं: BRTS कॉरिडोर के चलते मुख्य सड़कों पर गाड़ियां अवैध रूप से खड़ी हो जाती थीं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया था।
- सार्वजनिक परिवहन पर प्रभाव: आम नागरिकों और निजी वाहन चालकों को इस कॉरिडोर के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।
- सुरक्षा संबंधी चिंताएं: कई लोगों ने शिकायत की कि BRTS कॉरिडोर को लेकर पर्याप्त सुरक्षा उपायों का पालन नहीं किया गया, जिससे पैदल यात्रियों और अन्य वाहन चालकों के लिए यह असुरक्षित हो गया था।
हाईकोर्ट का फैसला और सरकार की प्रतिक्रिया
जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि BRTS कॉरिडोर को अब हटाया जाना चाहिए क्योंकि यह शहर की यातायात व्यवस्था में रुकावट पैदा कर रहा है। कोर्ट ने प्रशासन को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द इस कॉरिडोर को हटाने की प्रक्रिया शुरू करे और इसके स्थान पर वैकल्पिक यातायात समाधान तैयार करे।
सरकार और नगर प्रशासन ने कोर्ट के इस फैसले का सम्मान करते हुए कहा कि वे जल्द ही एक नई ट्रैफिक प्लानिंग तैयार करेंगे, जिससे शहर की परिवहन व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाया जा सके।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
इंदौर के नागरिकों ने इस फैसले का स्वागत किया है। स्थानीय व्यापारियों, वाहन चालकों और यात्रियों ने राहत की सांस ली है, क्योंकि लंबे समय से वे इस समस्या का सामना कर रहे थे।
कुछ नागरिकों का कहना है कि सरकार को अब एक बेहतर सार्वजनिक परिवहन प्रणाली विकसित करनी चाहिए, जो शहर के यातायात को सुचारु बनाए और लोगों की सुविधा का ध्यान रखे।
निष्कर्ष
इंदौर में BRTS कॉरिडोर को हटाने का हाईकोर्ट का यह फैसला शहर के लिए एक बड़े बदलाव की ओर इशारा करता है। अब प्रशासन पर जिम्मेदारी होगी कि वह यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए बेहतर समाधान लाए और लोगों की समस्याओं को दूर करे। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में इंदौर की सड़कों पर यातायात का संचालन किस तरह से सुधरता है।

