गणतंत्र दिवस पर इस बार बिहार की गौरवशाली धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत की झलक दिखाएगी खास झांकी

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गणतंत्र दिवस पर इस बार बिहार की गौरवशाली धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत की झलक दिखाएगी खास झांकी

गणतंत्र दिवस के इस खास मौके पर बिहार की समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाने वाली झांकी विशेष आकर्षण का केंद्र होगी। यह झांकी न केवल राज्य की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को सामने लाएगी, बल्कि पूरे देश को बिहार की गौरवशाली परंपराओं से परिचित कराएगी।

बिहार की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रदर्शन

इस बार की झांकी में बिहार की प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों और सांस्कृतिक प्रतीकों को प्रमुखता से दिखाया जाएगा। झांकी में बौद्ध धर्म का केंद्र बोधगया, जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था, एक प्रमुख आकर्षण होगा। इसके साथ ही नालंदा विश्वविद्यालय, जो प्राचीन काल में शिक्षा और संस्कृति का प्रमुख केंद्र था, झांकी का हिस्सा बनेगा।

मिथिला की कला और संस्कृति, जैसे मधुबनी पेंटिंग्स, भी इस झांकी में देखने को मिलेंगी। इन पेंटिंग्स की विश्वव्यापी पहचान है, और यह बिहार की सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं। साथ ही छठ पूजा, जो बिहार की एक प्रमुख सांस्कृतिक परंपरा है, को भी झांकी में स्थान दिया गया है। छठ के अवसर पर गंगा के किनारे की पवित्रता और श्रद्धा को झांकी में खूबसूरती से दर्शाया जाएगा।

बिहार के ऐतिहासिक स्थलों की झलक

झांकी में बिहार के ऐतिहासिक महत्व के स्थलों को भी दर्शाया जाएगा। इसमें राजगीर, वैशाली और पाटलिपुत्र जैसे प्राचीन शहरों की झलक देखने को मिलेगी। ये स्थान न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति के निर्माण में इनका विशेष योगदान रहा है।

विशेष रूप से अशोक स्तंभ, जो भारत के गौरवशाली मौर्य साम्राज्य का प्रतीक है, और बिहार का एक अद्वितीय सांस्कृतिक प्रतीक है, को झांकी का हिस्सा बनाया गया है। यह दर्शकों को प्राचीन भारत की उन्नति और सांस्कृतिक धरोहर के बारे में जानकारी प्रदान करेगा।

बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता

बिहार की संस्कृति की विविधता को झांकी के माध्यम से खूबसूरती से प्रस्तुत किया जाएगा। इसमें बिहार के पारंपरिक नृत्य, जैसे झिझिया, जाट-जटिन, और भोजपुरी लोकगीतों की झलक देखने को मिलेगी। साथ ही, पारंपरिक परिधानों और लोकनाट्यों को भी दर्शाया जाएगा, जिससे राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का प्रचार-प्रसार होगा।

देश को संदेश

बिहार की झांकी न केवल राज्य की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को दर्शाएगी, बल्कि यह संदेश भी देगी कि भारत की विविधता में एकता ही हमारी असली ताकत है। यह झांकी दर्शकों को प्रेरित करेगी कि वे अपनी जड़ों और सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित रखें।

निष्कर्ष

इस गणतंत्र दिवस पर बिहार की झांकी राज्य की गौरवशाली सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का परिचय देगी। यह झांकी न केवल बिहार के लिए गर्व का विषय होगी, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी। बिहार की समृद्ध विरासत को इस प्रकार गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रस्तुत करना राज्य की सांस्कृतिक पहचान को और मजबूत करेगा।


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