गोधरा कांड, जो 2002 में गुजरात में हुआ था, भारत के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है। यह घटना न केवल हिंसा और असहमति का प्रतीक बनी, बल्कि इसके बाद की घटनाओं ने पूरे देश को एक सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से झकझोर दिया। अब, इस घटना पर आधारित एक फिल्म के निर्माण को लेकर विवाद और धमकियों का नया दौर शुरू हो गया है। अभिनेता विक्रांत मैसी, जो इस फिल्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, ने हाल ही में बयान दिया कि उन्हें और उनके परिवार को गंभीर धमकियों का सामना करना पड़ रहा है। उनका आरोप है कि विरोधी उनके नवजात बच्चे तक को नहीं छोड़ रहे हैं और लगातार उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।
गोधरा कांड पर फिल्म बनाने का फैसला न केवल फिल्म इंडस्ट्री बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच विवादों का कारण बन सकता है। विक्रांत मैसी ने कहा कि इस विषय पर फिल्म बनाने का उद्देश्य न तो किसी धर्म या जाति को नीचा दिखाना है, बल्कि एक ऐतिहासिक घटना के प्रभाव को समाज के सामने लाना है। हालांकि, इस विषय की संवेदनशीलता को देखते हुए फिल्म के प्रति विभिन्न समुदायों से तीव्र प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। विक्रांत का यह भी कहना था कि इस फिल्म की शूटिंग के दौरान उन्हें और उनकी टीम को लगातार धमकियां मिल रही हैं, जो उनके परिवार और व्यक्तिगत सुरक्षा को लेकर चिंता का कारण बन गई हैं।
विक्रांत ने यह भी बताया कि इन धमकियों का असर उनके परिवार पर भी पड़ रहा है, और अब विरोधी उनके नवजात बच्चे तक को निशाना बना रहे हैं। उनका कहना था, “मेरे ऊपर निजी हमले हो रहे हैं, लेकिन अब यह सीमा पार कर चुका है। विरोधी लोग मेरे बच्चे को भी नहीं छोड़ रहे, जो बेहद चिंताजनक है।” विक्रांत ने इन धमकियों को गंभीरता से लिया है और कहा कि वे किसी भी तरह की हिंसा या धमकी से डरने वाले नहीं हैं। उनका मानना है कि इस फिल्म के जरिए एक सच्चाई को सामने लाना जरूरी है, ताकि लोग उस घटना के दुष्परिणामों को समझ सकें।
गोधरा कांड पर फिल्म बनाने को लेकर यह पहली बार नहीं है कि किसी अभिनेता या निर्देशक को धमकियों का सामना करना पड़ा हो। ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर फिल्म निर्माण करना हमेशा से ही जोखिम भरा रहा है, क्योंकि हर समुदाय की अपनी भावनाएं और विश्वास होते हैं। गोधरा कांड पर फिल्म बनाने का निर्णय कई सवालों को जन्म देता है, जिसमें यह भी शामिल है कि क्या इस फिल्म से किसी समुदाय विशेष को ठेस पहुंचेगी या नहीं।
इस पूरे विवाद के बीच, विक्रांत मैसी ने अपने विचार स्पष्ट किए और कहा कि किसी भी प्रकार की धमकी या डर उनके लक्ष्य को बदलने वाला नहीं है। फिल्म की टीम और निर्माता इस मुद्दे को पूरी तरह से संवेदनशीलता और सच्चाई के साथ प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि यह ऐतिहासिक घटना सही तरीके से सामने आ सके।
विक्रांत के बयान से यह भी स्पष्ट होता है कि फिल्म इंडस्ट्री में इस तरह के संवेदनशील विषयों पर काम करना कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर जब वह राष्ट्रीय या धार्मिक पहचान से जुड़ी घटनाओं पर आधारित हो।