एक खबर प्रस्तावक जिनका काम ब्रिटेन के एक समाचार संगठन में है, ने एक टिप्पणी की जिसके बाद उन्हें नेटिजन्स के क्रोध का सामना करना पड़ा, क्योंकि उन्होंने कहा कि भारत को ब्रिटेन द्वारा प्रदान किए गए 23 बिलियन पौंड के विदेशी सहायता को लौटानी चाहिए।
नई दिल्ली: यह आजकल की दुनिया है, जहां समाचार सोशल मीडिया पर त्वरित रूप से फैल जाते हैं और एक ट्वीट या टिप्पणी ने बड़े पैमाने पर विवाद पैदा कर सकते हैं। इसका एक उदाहरण हाल ही में ब्रिटेन में हुआ, जहां एक खबर प्रस्तावक ने भारत के प्रति अपनी टिप्पणी के बाद नेटिजन्स के आक्रोश का सामना किया।
टिप्पणी के माध्यम से, खबर प्रस्तावक ने इस सुझाव को उठाया कि भारत को उस विदेशी सहायता को लौटाना चाहिए जिसे ब्रिटेन ने पिछले साल प्रदान किया था। उनका विचार था कि भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत है और वे इस पैसे का उपयोग अपने नागरिकों की जरूरियतों को पूरा करने में कर सकते हैं। हालांकि, इस टिप्पणी ने ब्रिटेनी नागरिकों के बीच बहुत अधिक उत्तेजना पैदा की और सोशल मीडिया पर विरोध की लहर बढ़ गई।
ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर टिप्पणी के बाद, लोगों ने अपने विचार साझा किए। कई लोगों ने खबर प्रस्तावक की इस टिप्पणी को नकारा और उन्हें यह याद दिलाया कि यह सहायता भारत के लिए आवश्यक थी और ब्रिटेन ने उसे उनकी आपातकालिन आवश्यकताओं के लिए प्रदान किया था।
ब्रिटेन में एक समाचार संगठन के लिए काम करने वाले एक समाचार प्रस्तोता को नेटिज़न्स के क्रोध का सामना करना पड़ा जब उसने एक टिप्पणी की कि भारत को ब्रिटेन द्वारा प्रदान की गई £2.3 बिलियन की विदेशी सहायता वापस कर देनी चाहिए।
विवाद के बाद, खबर प्रस्तावक ने अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट करने के लिए एक और ट्वीट किया, लेकिन इससे विवाद और बढ़ गया। वे बोले कि उनका मतलब यह नहीं था कि भारत को विदेशी सहायता की आवश्यकता नहीं है, बल्कि वे बस यह कहना चाहते थे कि भारत आजकल आर्थिक रूप से स्थिर है और वे इसे अपनी स्वावलंबन योजनाओं में निवेश कर सकते हैं।
नेता की प्रतिक्रिया
इस विवाद के बाद, ब्रिटेन के कई राजनीतिक नेता भारत के प्रति अपने विचार साझा करते हुए दिखे। कई नेता खबर प्रस्तावक की टिप्पणी का समर्थन करते हुए ब्रिटेन की आर्थिक सहायता को फालतू मानने में सहमत थे, वहीं कुछ नेता इसे एक अच्छे इंसानी और वैशिष्ट्यपूर्ण कदम के रूप में देखने की बात कर रहे थे।
संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रतिक्रिया
इस विवाद ने अमेरिकी संयुक्त राज्यों के प्रति भी प्रभाव डाला, क्योंकि भारत और ब्रिटेन के बीच के इस विवाद ने विश्व समुदाय के ध्यान को खींच लिया। अमेरिकी प्रशासन ने इसे एक महत्वपूर्ण बिल्डिंग ब्लॉक के रूप में देखा और इसे दोनों देशों के बीच संवाद की आवश्यकता की ओर एक कदम माना।

यह घटना एक बार फिर से यह सिखाती है कि सोशल मीडिया की तेजी से बढ़ती उपस्थिति के कारण एक टिप्पणी का छोटा सा पल्ला भारी विवाद में बदल सकता है। खबर प्रस्तावक की टिप्पणी ने उनके संवाद कौशल की परीक्षा की और इसका असर उनके समूह के नेतृत्व पर भी पड़ा। यह घटना भारतीय-ब्रिटिश संबंधों की महत्वपूर्णता को भी परतदर्शित करती है और यह सुनिश्चित करती है कि समाचार प्रसारण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सोशल मीडिया आयोजन हो चुका है।