छठ पूजा 2024 कैलेंडर: नहाय खाय से ऊषा अर्घ्य तक जानें इस महापर्व की महत्वपूर्ण तारीखें और रस्में

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छठ पूजा, जिसे विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो सूर्य देवता और उनकी पत्नी उषा को समर्पित है। यह पर्व मुख्यतः बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष, छठ पूजा का महापर्व 2024 में कई विशेष तिथियों के साथ आ रहा है।

छठ पूजा की रस्में

छठ पूजा की चार प्रमुख रस्में होती हैं: नहाय खाय, खरना, संध्याकालीन अर्घ्य, और ऊषा अर्घ्य। हर रस्म का अपना एक खास महत्व है और ये सभी रस्में श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती हैं।

  1. नहाय खाय (30 अक्टूबर 2024): इस दिन व्रति अपने घर की सफाई करती हैं और स्नान करके पवित्रता का पालन करती हैं। खासकर, साग-भाजी जैसे शुद्ध भोजन का सेवन किया जाता है। यह दिन घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने का अवसर होता है और व्रति अपने परिवार के साथ मिलकर यह पर्व शुरू करती हैं।
  2. खरना (31 अक्टूबर 2024): खरना के दिन, व्रति दिनभर उपवासी रहकर शाम को सूर्यास्त के बाद खीर, रोटी, और फल का भोग बनाती हैं। इस दिन को भी विशेष मान्यता प्राप्त है, क्योंकि इसमें व्रति संतान सुख की प्राप्ति के लिए सूर्य देवता की आराधना करती हैं। इसके बाद, सभी परिवार के सदस्य एकत्र होकर भोग का सेवन करते हैं।
  3. संध्याकालीन अर्घ्य (1 नवंबर 2024): यह दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है, जब सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। व्रति नदी या जलाशय के किनारे पहुंचकर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं। इस दिन, खासकर, कच्चे दूध, चीनी, और गन्ने का उपयोग किया जाता है। श्रद्धालु परिवार के साथ मिलकर गीत गाते हैं और अपनी भक्ति प्रकट करते हैं।
  4. ऊषा अर्घ्य (2 नवंबर 2024): छठ पूजा का अंतिम दिन ऊषा अर्घ्य का होता है। इस दिन, व्रति सूर्योदय के समय फिर से सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं। इसे इस पर्व का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। व्रति इस दिन सूर्योदय से पहले नदी या जलाशय पहुंचकर पूजा अर्चना करती हैं और अपनी मनोकामनाएं करती हैं।

महत्व और विशेषताएं

छठ पूजा का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व न केवल परिवार को एकत्र करता है, बल्कि समुदाय में एकता और भाईचारे को भी बढ़ावा देता है। छठ पूजा के दौरान लोग एक-दूसरे की मदद करते हैं, एक साथ पूजा करते हैं, और अपने पारंपरिक संगीत और नृत्य का आनंद लेते हैं।

इसके अलावा, यह पर्व प्रकृति के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करता है। सूर्य देवता को ऊर्जा और जीवन का स्रोत माना जाता है, और इस पूजा के माध्यम से लोग उन्हें धन्यवाद देते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

2024 में छठ पूजा का यह महापर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाने का समय है। सभी भक्तों से अपील है कि वे इस पर्व को अपने पारंपरिक तरीके से मनाएं और एक-दूसरे के साथ मिलकर अपनी खुशियों को साझा करें। इस विशेष अवसर पर एक-दूसरे के साथ प्रेम और समर्पण से जुड़कर ही हम इस पर्व की वास्तविक भावना को जी सकते हैं।


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