नजफगढ़ का नाम बदलकर नाहरगढ़ करने की मांग, विधायक नीलम पहलवान बोलीं – 1857 के नायक राजा नाहर सिंह को सम्मान मिले
दिल्ली विधानसभा में भाजपा की विधायक नीलम पहलवान ने नजफगढ़ का नाम बदलकर नाहरगढ़ करने की जोरदार मांग उठाई। उन्होंने कहा कि 1857 की क्रांति में वीर योद्धा राजा नाहर सिंह का महत्वपूर्ण योगदान था, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ जंग लड़ी और अपने प्राणों की आहुति दी। ऐसे में नजफगढ़ का नाम उनके नाम पर रखा जाना चाहिए ताकि उन्हें ऐतिहासिक सम्मान मिल सके।
नीलम पहलवान ने सदन में उठाया मुद्दा
विधानसभा में बोलते हुए नीलम पहलवान ने कहा कि नजफगढ़ का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व बेहद खास है। उन्होंने तर्क दिया कि 1857 की आजादी की लड़ाई में राजा नाहर सिंह ने दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों को अंग्रेजों से मुक्त कराने के लिए वीरतापूर्वक संघर्ष किया था। उन्होंने कहा, “हमारे क्षेत्र का नाम उस महान योद्धा के नाम पर होना चाहिए, जिन्होंने इसे अंग्रेजों से मुक्त कराया और दिल्ली प्रांत का हिस्सा बनाया।”
राजा नाहर सिंह का बलिदान और ऐतिहासिक योगदान
राजा नाहर सिंह बल्लभगढ़ के शासक थे और 1857 की क्रांति में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने न केवल अपने क्षेत्र में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह किया, बल्कि दिल्ली की मुक्ति के लिए भी संघर्ष किया।
जब 1857 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम छिड़ा, तो राजा नाहर सिंह ने बहादुर शाह जफर के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा संभाला। हालांकि, इस विद्रोह को दबाने के बाद अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और 9 जनवरी 1858 को दिल्ली के चांदनी चौक में फांसी दे दी। उनका बलिदान आज भी भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है।
नजफगढ़ से नाहरगढ़ – ऐतिहासिक विरासत को संजोने की पहल
नीलम पहलवान ने कहा कि नजफगढ़ नाम मुगल शासन के समय से जुड़ा हुआ है, जबकि राजा नाहर सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे। इसलिए, उनके बलिदान को याद रखते हुए इस क्षेत्र का नाम नाहरगढ़ रखा जाना चाहिए। उन्होंने इस मांग को विधानसभा में रखकर सरकार से इस पर विचार करने की अपील की।
सामाजिक और राजनीतिक समर्थन
नीलम पहलवान की इस मांग को स्थानीय लोगों और विभिन्न सामाजिक संगठनों से समर्थन मिल रहा है। कई इतिहासकार और स्थानीय नेता भी इस बात से सहमत हैं कि राजा नाहर सिंह का योगदान दिल्ली और हरियाणा के इतिहास में अतुलनीय है, और उनके नाम पर क्षेत्र का नामकरण एक उचित कदम होगा।
हालांकि, इस मुद्दे पर राजनीतिक मतभेद भी उभर रहे हैं। कुछ लोग इस मांग को जरूरी मानते हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक एजेंडा करार दे रहे हैं। कुछ विपक्षी दलों का मानना है कि नाम बदलने के बजाय सरकार को क्षेत्र के बुनियादी विकास कार्यों पर ध्यान देना चाहिए।
निष्कर्ष
नीलम पहलवान द्वारा उठाई गई यह मांग ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। राजा नाहर सिंह का बलिदान न केवल नजफगढ़ बल्कि पूरे भारत के लिए प्रेरणादायक है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस प्रस्ताव पर क्या निर्णय लेती है और क्या नजफगढ़ का नाम वास्तव में नाहरगढ़ हो पाता है या नहीं।

