प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Christmas पर दिल्ली कैथेड्रल चर्च ऑफ द रिडेम्पशन में सुबह की प्रार्थना सभा में सहभागिता की

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रिसमस पर दिल्ली कैथेड्रल चर्च ऑफ द रिडेम्पशन में प्रार्थना सभा में सहभागिता की

भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित कैथेड्रल चर्च ऑफ द रिडेम्पशन, अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है। इस चर्च में क्रिसमस के अवसर पर हर वर्ष विशेष प्रार्थना सभा आयोजित की जाती है, जिसमें देश-विदेश से श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस बार का आयोजन और भी विशेष रहा क्योंकि इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम न केवल धार्मिक सद्भावना का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की विविधता और बहुलता को सम्मान देने का भी संदेश देता है। क्रिसमस, ईसा मसीह के जन्मोत्सव के रूप में पूरी दुनिया में मनाया जाता है। भारत में भी ईसाई समुदाय के साथ-साथ अन्य धर्मों के लोग इस पर्व को उत्साह और प्रेम के साथ मनाते हैं।

प्रार्थना सभा का महत्व

सुबह की प्रार्थना सभा में शामिल होकर प्रधानमंत्री ने यह दर्शाया कि त्योहार केवल किसी एक समुदाय तक सीमित नहीं होते, बल्कि वे पूरे समाज को जोड़ने का माध्यम होते हैं। प्रार्थना सभा में शांति, प्रेम और करुणा का संदेश दिया गया। ईसा मसीह के जीवन से प्रेरणा लेते हुए सभा में उपस्थित लोगों ने मानवता की सेवा और भाईचारे को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।

प्रधानमंत्री की उपस्थिति का संदेश

प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी महत्वपूर्ण बना दिया। उन्होंने ईसाई समुदाय के नेताओं और श्रद्धालुओं से संवाद किया और उन्हें क्रिसमस की शुभकामनाएँ दीं। यह कदम भारत की “एकता में विविधता” की भावना को मजबूत करता है। मोदी ने यह स्पष्ट किया कि सभी धर्मों और संस्कृतियों का सम्मान करना ही भारत की असली पहचान है।

धार्मिक सद्भाव और सामाजिक एकता

भारत जैसे बहुधर्मी देश में ऐसे आयोजन सामाजिक एकता और धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देते हैं। जब देश का सर्वोच्च नेतृत्व विभिन्न धर्मों के पर्वों में शामिल होता है, तो यह पूरे समाज को यह संदेश देता है कि हर धर्म समान रूप से महत्वपूर्ण है। इससे न केवल अल्पसंख्यक समुदायों को सम्मान मिलता है, बल्कि पूरे देश में भाईचारे और विश्वास का वातावरण भी मजबूत होता है।

सांस्कृतिक दृष्टिकोण

क्रिसमस केवल धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक उत्सव भी है। इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और विशेष भोजन का आनंद लेते हैं। दिल्ली के चर्चों में विशेष सजावट की जाती है और कैथेड्रल चर्च ऑफ द रिडेम्पशन अपनी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व के कारण विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है। प्रधानमंत्री की उपस्थिति ने इस सांस्कृतिक उत्सव को और भी गौरवपूर्ण बना दिया।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क्रिसमस पर दिल्ली कैथेड्रल चर्च ऑफ द रिडेम्पशन में प्रार्थना सभा में सहभागिता करना केवल एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक सद्भाव का जीवंत उदाहरण था। इस कदम ने यह संदेश दिया कि भारत में हर धर्म और हर समुदाय को समान सम्मान प्राप्त है। क्रिसमस का यह आयोजन न केवल ईसाई समुदाय के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एकता, प्रेम और शांति का प्रतीक बन गया।


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