बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने ‘AI’ के बाद ‘HI’ की जरूरत पर जताया विचार, जानिए क्यों
बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र शास्त्री ने हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ (AI) के बढ़ते प्रभाव के बीच ‘मानवता’ (HI) की जरूरत पर जोर दिया। उनके अनुसार, जहाँ तकनीकी प्रगति ने हमारे जीवन को सरल और सुविधाजनक बनाया है, वहीं मानवीय मूल्य और संवेदनशीलता को भी ध्यान में रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनका मानना है कि अगर हम सिर्फ तकनीकी विकास की दिशा में ही आगे बढ़ते रहे, तो हम अपने मूल्यों और मानवता को भूल सकते हैं, जो समाज की सही दिशा में प्रगति के लिए जरूरी हैं।
धीरेंद्र शास्त्री ने अपने विचारों को साझा करते हुए कहा, “आजकल तकनीक ने हर क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है, AI और डिजिटल दुनिया ने हमारी दुनिया को एक नया रूप दिया है। लेकिन, तकनीक से बढ़कर हमे ‘HI’ यानी मानवता की अहमियत समझनी होगी।” उन्होंने यह भी बताया कि आजकल के युवा तकनीकी रूप से तो सक्षम हो रहे हैं, लेकिन मानवीय संवेदनाओं, रिश्तों और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना में कमी आ रही है, जो चिंता का विषय है।
शास्त्री के अनुसार, तकनीकी विकास का उद्देश्य केवल मानव जीवन को आसान बनाना नहीं, बल्कि उसे बेहतर बनाना भी होना चाहिए। “तकनीक को अगर सही दिशा में उपयोग किया जाए, तो यह समाज के लिए फायदेमंद हो सकती है। लेकिन, अगर हम इस विकास को सिर्फ व्यक्तिगत लाभ तक सीमित रखें और समाज की भलाई से दूर भागें, तो यह सिर्फ एक शक्तिशाली उपकरण बनकर रह जाएगी, न कि समाज की सेवा करने वाला साधन,” उन्होंने कहा।
उन्होंने उदाहरण के तौर पर बताया कि सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने मानव संपर्क को एक नया रूप दिया है, लेकिन इसके साथ-साथ रिश्तों में दूरी भी बढ़ी है। शास्त्री का मानना है कि यदि समाज में मानवीय संवेदनाएं और रिश्तों का उतना ही महत्व हो, जितना कि तकनीकी उन्नति का, तो यह दोनों एक साथ मिलकर बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।
धीरेंद्र शास्त्री ने यह भी कहा कि AI के विकास के साथ-साथ हमें अपनी जड़ें और अपने सांस्कृतिक मूल्यों को भी समझना और अपनाना चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे प्राचीन धर्म, संस्कृति और परंपराओं में भी समाज के हर सदस्य की भलाई के लिए गहरी समझ थी, और यही मूल्य हमें अब भी अपने जीवन में उतारने चाहिए।
अंत में, शास्त्री ने यह संकल्प लिया कि वे अपने अनुयायियों और समाज को ‘मानवता’ के महत्व को समझाने के लिए और इस दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करेंगे। उनका मानना है कि अगर हम सभी AI और HI के बीच संतुलन बनाए रखें, तो हम एक स्वस्थ, समृद्ध और जागरूक समाज की ओर बढ़ सकते हैं।
धीरेंद्र शास्त्री के इस विचार ने न केवल तकनीकी विकास पर सोचने के लिए प्रेरित किया, बल्कि यह भी याद दिलाया कि हर प्रगति के साथ, मानवीय संवेदनाओं और मूल्यों को हमेशा प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

