बिहार में हाल ही में नवनियुक्त बीपीएससी (बिहार लोक सेवा आयोग) शिक्षकों के नौकरी छोड़ने की घटनाओं ने शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा दिया है। इस अप्रत्याशित विकास से राज्य के शैक्षिक ढांचे पर गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका है, क्योंकि कई स्कूलों में शिक्षक पहले से ही कमी का सामना कर रहे हैं।
पिछले कुछ महीनों में, बिहार में बीपीएससी के माध्यम से नियुक्त किए गए कई शिक्षकों ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। इन शिक्षकों के नौकरी छोड़ने के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं, जिनमें से प्रमुख हैं- कम वेतन, कार्यस्थल पर सुविधाओं की कमी, और अन्य राज्यों में बेहतर अवसरों की तलाश।
नवीन नियुक्तियों के बावजूद, शिक्षकों द्वारा नौकरी छोड़ने की घटनाओं ने शिक्षा विभाग की चिंताओं को बढ़ा दिया है। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “हमने हाल ही में बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति की थी, लेकिन उनका नौकरी छोड़ना हमारे लिए एक बड़ा झटका है। हम इस स्थिति का विश्लेषण कर रहे हैं और इसका समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं।”
शिक्षकों की शिकायतों में से एक प्रमुख मुद्दा वेतन और भत्तों का है। कई नवनियुक्त शिक्षक राज्य सरकार द्वारा निर्धारित वेतन को अपर्याप्त मानते हैं, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो बड़े शहरों में तैनात हैं, जहां जीवनयापन की लागत अधिक है। एक शिक्षक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “हमारे वेतन में इतनी बढ़ोतरी नहीं हुई है कि हम अपने परिवार का सही तरीके से पालन-पोषण कर सकें। इसी कारण हमें दूसरे राज्यों में नौकरी की तलाश करनी पड़ती है।”
इसके अलावा, कई शिक्षकों ने कार्यस्थल पर बुनियादी सुविधाओं की कमी की भी शिकायत की है। कई स्कूलों में आवश्यक शिक्षण सामग्री, इन्फ्रास्ट्रक्चर और समर्थन की कमी होती है, जिससे शिक्षकों के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना कठिन हो जाता है। इस बारे में एक अन्य शिक्षक ने कहा, “हमारे स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी है। बिना उचित संसाधनों के, हम बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे प्रदान कर सकते हैं?”
इस स्थिति से निपटने के लिए, शिक्षा विभाग ने तुरंत कदम उठाने का फैसला किया है। विभाग के अधिकारी वर्तमान में शिक्षकों की समस्याओं को समझने और उनके समाधान के लिए विभिन्न उपायों पर विचार कर रहे हैं। इनमें वेतन संरचना की समीक्षा, कार्यस्थल पर सुविधाओं में सुधार, और शिक्षकों के लिए बेहतर प्रशिक्षण और विकास के अवसर शामिल हैं।
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या का समाधान करने के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री ने कहा, “हमें शिक्षकों के वेतन, सुविधाएं और कार्यस्थल की स्थितियों को सुधारने के लिए एक समग्र योजना बनाने की आवश्यकता है। इसके बिना, हम शिक्षकों को अपनी नौकरी में बनाए रखने में सफल नहीं हो सकते।”
नवनियुक्त बीपीएससी शिक्षकों के नौकरी छोड़ने की घटनाओं ने न केवल शिक्षा विभाग को हिला कर रख दिया है, बल्कि पूरे राज्य में शिक्षा के स्तर पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। इसे देखते हुए, राज्य सरकार और शिक्षा विभाग को त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि शिक्षकों को उनकी समस्याओं का समाधान मिल सके और राज्य में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सके।

