उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हाल ही में दिया गया बयान “बंटेंगे तो कटेंगे” न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि महाराष्ट्र में भी चर्चाओं का विषय बन गया है। यह बयान उस समय सामने आया जब योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और अन्य विपक्षी दलों के खिलाफ हमला बोलते हुए यह टिप्पणी की। उनका यह बयान विभिन्न राजनीतिक हलकों में तूल पकड़ चुका है और कई नेताओं ने इसे लेकर अपनी-अपनी राय जाहिर की है। कुछ नेताओं ने योगी के इस बयान का समर्थन किया, वहीं कुछ ने इसे विवादास्पद और गलत तरीके से पेश किया है।
योगी आदित्यनाथ का बयान: ‘बंटेंगे तो कटेंगे’
योगी आदित्यनाथ ने यह बयान उस समय दिया जब वे उत्तर प्रदेश में विपक्षी पार्टियों की एकजुटता को लेकर टिप्पणी कर रहे थे। उनका कहना था कि अगर विपक्षी दलों के बीच किसी तरह का बंटवारा हुआ तो इसका सीधा असर उनके राजनीतिक भविष्य पर पड़ेगा। “बंटेंगे तो कटेंगे” का तात्पर्य था कि अगर विपक्षी दलों में मतभेद बढ़े तो उनका राजनीतिक प्रभाव कम होगा, और अंततः वे चुनावों में हार जाएंगे।
यह बयान मुख्य रूप से विपक्षी दलों के गठबंधन और उनके बीच हो रहे मतभेदों पर आधारित था, जिसमें योगी आदित्यनाथ ने यह अंदेशा जताया कि विपक्षी पार्टियां अपनी अंदरूनी समस्याओं के कारण चुनावी मुकाबले में कमजोर पड़ सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष की रणनीतियां इस तरह की होंगी कि वे आपस में बंटकर खुद को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
महाराष्ट्र में भी चर्चा का विषय
योगी आदित्यनाथ का यह बयान महाराष्ट्र में भी काफी चर्चा में है, जहां राज्य में शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा और उद्धव ठाकरे की शिवसेना के साथ गठबंधन की राजनीति चल रही है। यहां के राजनीतिक नेता, विशेषकर एनसीपी नेता अजित पवार, ने इस बयान का विरोध किया है। अजित पवार का कहना है कि योगी आदित्यनाथ का बयान केवल एक राजनीतिक हथकंडा है और इसे गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए। उनका यह भी कहना था कि योगी को राज्य की राजनीति के बजाय सिर्फ अपनी राज्य की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।
अजित पवार ने इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “योगी आदित्यनाथ को महाराष्ट्र की राजनीति में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें उत्तर प्रदेश की समस्याओं से ही फुर्सत नहीं है।” पवार ने यह भी कहा कि भारतीय राजनीति में इस तरह के बयान केवल विवाद को बढ़ाते हैं और जनता की समस्याओं से ध्यान भटकाते हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और समर्थन
योगी आदित्यनाथ के बयान को लेकर कई नेताओं ने समर्थन भी किया है। भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के नेताओं का कहना है कि योगी आदित्यनाथ का बयान पूरी तरह से सही है और यह विपक्ष के बिखराव की स्थिति को उजागर करता है। भाजपा का यह मानना है कि विपक्षी दलों की असहमति और बिखराव उनके लिए चुनावी नुकसान का कारण बन सकता है। भाजपा नेताओं का कहना है कि विपक्षी दलों के बीच जो भी दरारें हैं, वे 2024 के आम चुनाव में सामने आ सकती हैं और इसका फायदा भाजपा को मिलेगा।
निष्कर्ष
योगी आदित्यनाथ का ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ बयान भारतीय राजनीति में एक नए विवाद का कारण बन चुका है, जिसमें न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों के नेता भी शामिल हो गए हैं। अजित पवार जैसे नेता इस बयान का विरोध कर रहे हैं, जबकि भाजपा इसे विपक्षी दलों के बीच मतभेदों की पहचान मान रही है। यह कहना मुश्किल है कि इस बयान का अंततः क्या असर होगा, लेकिन यह जरूर है कि यह बयान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है, जो आगामी चुनावों में प्रभाव डाल सकता है।