वायनाड में विनाशकारी भूस्खलन: केरल में भारी बारिश और आपदा के बीच 123 मौतें, 90 लापता और शोक की घोषणा

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केरल का वायनाड जिला इस समय एक भीषण आपदा के समक्ष है। हाल की भारी बारिश और भूस्खलन ने इस क्षेत्र को तबाही की चपेट में ले लिया है। पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के बाद हुए भूस्खलन ने वायनाड में बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है। अब तक 123 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 90 से ज्यादा लोग लापता हैं। इस स्थिति ने पूरे देश को गहरे शोक और चिंता में डाल दिया है।

भूस्खलन ने वायनाड की भौगोलिक और सामाजिक संरचना को बुरी तरह प्रभावित किया है। इस आपदा में मिट्टी, पत्थर और चट्टानों के ढेर ने कई घरों और बस्तियों को निगल लिया। पीड़ित परिवार अपने अपनों को मलबे में तलाश रहे हैं, और राहत कार्य तेजी से चलाए जा रहे हैं। नेशनल डिजास्टर रेस्पांस फोर्स (NDRF), भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के जवान मलबे से लोगों को निकालने में जुटे हुए हैं। इन सभी प्रयासों के बावजूद, बारिश की लगातार हलचल और भूस्खलन की संभावना राहत कार्यों को काफी चुनौतीपूर्ण बना रही है।

वायनाड में मौजूदा मौसम की स्थिति और खराब होती जा रही है, जिससे राहत कार्यों में रुकावटें आ रही हैं। मौसम विभाग द्वारा जारी किए गए रेड अलर्ट ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। भूस्खलन के क्षेत्र में जाने के लिए स्थिति बहुत खतरनाक है, और मौसम की खराबी राहत कार्यकर्ताओं की मुश्किलों को बढ़ा रही है। ड्रोन और डॉग स्क्वॉड की मदद से मलबे में दबे लोगों की खोजबीन की जा रही है, लेकिन अत्यधिक मलबे और जमी हुई मिट्टी राहत कार्य को कठिन बना रही है।

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मुख्यमंत्री ने इस भयानक आपदा के संदर्भ में जानकारी दी है कि भूस्खलन का मुख्य क्षेत्र मुंडक्कई है, जो एक उच्च जोखिम वाला आपदा क्षेत्र है। इस क्षेत्र को लेकर पूर्व में कोई बड़ा आपदा चेतावनी जारी नहीं की गई थी। यह स्थान चूरलमाला से लगभग 6 किलोमीटर दूर है, और कई लोग सालों से यहां रह रहे हैं। इस क्षेत्र में भूस्खलन की शुरुआत ने बड़ी जनहानि का कारण बनी है, जबकि यह स्थान आपदा के लिहाज से संवेदनशील नहीं माना जाता था।

केरल सरकार ने इस आपदा के मद्देनजर दो दिन के शोक की घोषणा की है। शोक की इस अवधि में, राज्य भर में झटकों और संवेदनाओं की लहर है, और स्थानीय समुदाय, सरकार और सहायता संगठनों की तरफ से पीड़ित परिवारों के प्रति समर्थन और सहायता प्रदान की जा रही है। आपदा के इस संकट ने पूरे देश को एकजुट कर दिया है और विभिन्न राहत प्रयासों के माध्यम से वायनाड और केरल की जनता को इस कठिन घड़ी में मदद करने की कोशिश की जा रही है।

इस तरह की आपदाएं न केवल प्राकृतिक आपदाओं का भयंकर चेहरा दिखाती हैं, बल्कि हमारे समाज की एकजुटता और सहानुभूति की भी परीक्षा लेती हैं। वायनाड की वर्तमान स्थिति एक गंभीर संकट है, और पूरे देश की ओर से इस क्षेत्र की पुनर्निर्माण और राहत कार्यों में हर संभव मदद की जा रही है।

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केरल के वायनाड जिले में प्राकृतिक आपदा से मची तबाही से पूरा देश शोक में है। बारिश के बाद आए भूकंप से मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। अब तक 123 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इस बीच 90 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं, जबकि एनडीआरएफ, सेना, नौसेना और वायुसेना ने बम धमाकों से कई लोगों को बचाया है। 128 लोगों के घायल होने की खबर है। वायनाड में मौसम अभी भी खराब है।
भारी बारिश के चलते रेड अलर्ट है। इसके चलते रेस्क्यू टीम को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। घटना के बाद केरल सरकार ने दो दिन का शोक घोषित किया है। ड्रोन और डॉग यूनिट से भी मदद पहुंचाई जा रही है। राष्ट्रपति के मुताबिक जिस जगह भूकंप आया (मुंडक्कई) वह आपदा क्षेत्र है और सुनसान है। यहां से मिट्टी, चट्टानें और पत्थर गिरकर चूरलामाला तक पहुंच गए, जो भूस्खलन वाली जगह से 6 किलोमीटर दूर है। यह कोई साधारण जगह नहीं है और यहां कई लोग सालों से रह रहे हैं। इस लिहाज से यहां जानमाल का बड़ा नुकसान हुआ है।
केरल के वायनाड जिले में प्राकृतिक आपदा से मची तबाही से पूरा देश शोक में है। बारिश के बाद आए भूकंप से मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। अब तक 123 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इस बीच 90 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं, जबकि एनडीआरएफ, सेना, नौसेना और वायुसेना ने बम धमाकों से कई लोगों को बचाया है। 128 लोगों के घायल होने की खबर है। वायनाड में मौसम अभी भी खराब है।
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भारी बारिश के चलते रेड अलर्ट है। इसके चलते रेस्क्यू टीम को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। घटना के बाद केरल सरकार ने दो दिन का शोक घोषित किया है। ड्रोन और डॉग यूनिट से भी मदद पहुंचाई जा रही है। राष्ट्रपति के मुताबिक जिस जगह भूकंप आया (मुंडक्कई) वह आपदा क्षेत्र है और सुनसान है। यहां से मिट्टी, चट्टानें और पत्थर गिरकर चूरलामाला तक पहुंच गए, जो भूस्खलन वाली जगह से 6 किलोमीटर दूर है। यह कोई साधारण जगह नहीं है और यहां कई लोग सालों से रह रहे हैं। इस लिहाज से यहां जानमाल का बड़ा नुकसान हुआ है।

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