विद्वानता का सम्मान: चंपारण के वैदिक विद्वान डॉ. अनय को मिला श्रीराममंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का आमंत्रण

अनयमणित्रिपाठी
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भव्य समारोह: चंपारण के वैदिक विद्वान डॉ. अनय को श्रीराममंदिर का आदर्श स्थान बनाने का निमंत्रण

वैदिक विद्वान् डॉ० अनयमणित्रिपाठी को श्रीराम जन्मभूमि पर श्रीरामलला के मन्दिर की प्राण-प्रतिष्ठा में अनुष्ठान सम्पन्न कराने के लिए निमन्त्रित किया गया है। डॉ० त्रिपाठी पश्चिम चम्पारण के बांस गांव परसौनी निवासी हैं। इनका पूरा परिवार पीढ़ियों से संस्कृत की सेवा में तत्पर है। इन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी शुक्लयजुर्वेदाचार्य तथा पीएचडी की शिक्षा प्राप्त की है। काशी के विश्वविख्यात वेदाचार्य व वेदविद्या के महान् विद्वान् आचार्य श्री श्रीनाथ मिश्र जी से सांगोपांग शुक्लयजुर्वेद की शिक्षा प्राप्त की । काशी के वैदिकों में अनयमणित्रिपाठी का नाम विख्यात है। डां त्रिपाठी के बडे़ भाई श्रीविनय मणि त्रिपाठी भी काशी में ही रहते हैं तथा वे फलित ज्योतिष व कर्मकांड के बहुश्रुत विद्वान् हैं।
इनके परिजन इनके गांव परसौनी के पास ही मन्झरिया में रहते हैं। इनकी वंशपरम्परा में पीढ़ियों से व्याकरण , वेद, ज्योतिष तथा पुराणादि में निष्णात विद्वान् हुये हैं।

अनयमणित्रिपाठी

अनयमणित्रिपाठी

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री श्रीचम्पतराय के अनुसार काशी के विद्वान् आचार्य श्रीगणेश्वर शास्त्री द्रविड़ एवं आचार्य श्रीलक्ष्मीकान्त दीक्षित(श्रीराममन्दिर प्राण-प्रतिष्ठा के आचार्य) जी द्वारा प्राण-प्रतिष्ठा में सम्मिलित होने की अनुशंसा से आपको सादर आमन्त्रित किया जारहा है।

श्रीराममंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण

श्रीराममंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण

स्वर्गीय श्रीवृजेश्वर त्रिपाठी के कनिष्ठ पुत्र हैं। सम्प्रति इनकी माता जी श्रीमती शान्ति देवी त्रिपाठी काशी में ही आचार्य विनयमणि त्रिपाठी के पास रह कर काशीवास कर रही हैं।
डाक्टर अनयमणित्रिपाठी के अयोध्या राममन्दिर की प्राण-प्रतिष्ठा में आमन्त्रित किये जाने पर पूरे क्षेत्र में हर्ष का माहौल है।

अनयमणित्रिपाठी को श्रीराम  जन्मभूमि पर श्रीरामलला के मन्दिर की प्राण-प्रतिष्ठा में  अनुष्ठान सम्पन्न कराने के लिए निमन्त्रित किया गया है।

अनयमणित्रिपाठी को श्रीराम जन्मभूमि पर श्रीरामलला के मन्दिर की प्राण-प्रतिष्ठा में अनुष्ठान सम्पन्न कराने के लिए निमन्त्रित किया गया है।

चीन के क्वांगतोग विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ० विवेकमणि त्रिपाठी ने बताया कि काशी में रहते हुए हमने देखा है कि अनयमणित्रिपाठी नित्य वैदिक कर्मों में संलग्न रहते हैं। इनके पढ़ाये हुए शताधिक विद्यार्थी आज विभिन्न वैदिक विद्यालयों में वेदाध्यापन कर रहे हैं। डॉ०अनयमणित्रिपाठी इस समय केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, श्रीरणवीरपरिसर, जम्मू-कश्मीर में वेदविभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।
इनके एक भाई और जो इनसे बडे़ हैं डां. प्रवीणमणित्रिपाठी वे भी व्याकरण, दर्शन, तन्त्रागम तथा शिक्षाशास्त्र के विद्वान् हैं और हिन्दी संस्कृत व भोजपुरी के जाने माने कवि हैं।

मां भारती की सेवा में तत्पर यह परिवार अनुशासनमय जीवन शैली का संवाहक है।
अनयमणित्रिपाठी जी की माता जी अतीव धर्मपरायणा हैं। सहजता, सुशीलता , क्षमा, दया तथा स्नेह की मूर्ति हैं इनकी माता श्रीमती शान्ति देवी त्रिपाठी।
डा.त्रिपाठी बताते हैं कि हमारे पास जो भी शिक्षा , बोध, आचरण , ज्ञान तथा यश है वह माता जी के शुभाशीर्वाद तथा अनुशासन प्रिय बड़े भाई आचार्य विनयमणि त्रिपाठी के छत्रछाया का ही सुफल है।


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