शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर सुदर्शन पटनायक ने पुरी तट पर गुरु को समर्पित सुंदर रेत कला रची।

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शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर सुदर्शन पटनायक ने पुरी तट पर गुरु को समर्पित सुंदर रेत कला रची

हर वर्ष 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस बड़े सम्मान और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह दिन भारत के दूसरे राष्ट्रपति और महान शिक्षाविद् डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। शिक्षक समाज के मार्गदर्शक होते हैं, जो ज्ञान, नैतिकता और संस्कारों का संचार करते हैं। इसी भावनात्मक संदर्भ में, प्रख्यात रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक ने इस बार पुरी के समुद्र तट पर एक अत्यंत सुंदर और भावपूर्ण रेत कला का निर्माण किया।

गुरु को समर्पित रेत कला: एक दृश्य जो भावनाओं को छू गया

शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर जब देशभर में शिक्षक सम्मान समारोहों की तैयारियाँ हो रही थीं, तभी ओडिशा के पुरी समुद्र तट पर एक अद्वितीय कलाकृति लोगों का ध्यान खींच रही थी। अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने रेत से एक ऐसी मूर्ति बनाई, जो केवल सौंदर्य का प्रतीक नहीं थी, बल्कि उसमें “गुरु की महिमा” समाई हुई थी।

इस रेत कला में एक शिक्षक को अपने छात्र को ज्ञान की रोशनी दिखाते हुए दिखाया गया, जिसमें एक दीपक जलता हुआ नजर आ रहा था। साथ ही, कलाकृति के पास उकेरे गए शब्द थे — “Happy Teachers’ Day: Salute to all Teachers“। यह केवल एक दृश्य नहीं था, बल्कि भावनाओं का ज्वार था जो हर दर्शक के मन को छू गया।

सुदर्शन पटनायक: रेत में छुपे संदेशों के शिल्पकार

सुदर्शन पटनायक ऐसे कलाकार हैं जो हर सामाजिक, सांस्कृतिक या राष्ट्रीय अवसर पर अपनी रचनात्मकता से समाज को जागरूक करने का कार्य करते हैं। उनकी रेत कलाएँ केवल सौंदर्य नहीं रचतीं, बल्कि संदेश देती हैं — चाहे वह जलवायु परिवर्तन हो, महिला सशक्तिकरण हो, कोरोना जागरूकता हो या शिक्षक दिवस जैसा पावन पर्व।

उनकी यह नवीनतम रचना भी इसी परंपरा की एक कड़ी है, जो यह बताती है कि शिक्षक न केवल पाठ्यक्रम पढ़ाते हैं, बल्कि चरित्र गढ़ते हैं, विचारों को आकार देते हैं और जीवन की दिशा तय करने में मदद करते हैं।

देशभर से मिली सराहना

इस कलाकृति की तस्वीरें जैसे ही सोशल मीडिया पर आईं, लोगों ने इसकी दिल खोलकर सराहना की। कई शिक्षकों, छात्रों और कला प्रेमियों ने इस रचना को “गुरु को सच्ची श्रद्धांजलि” बताया। खुद शिक्षा मंत्रालय और कई शिक्षाविदों ने सुदर्शन पटनायक के इस प्रयास की प्रशंसा की।

निष्कर्ष: रेत से गढ़ा गया गुरु-वंदन

शिक्षक दिवस केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक अवसर है उस व्यक्ति को याद करने का, जो जीवन के हर मोड़ पर हमें संवारता है। सुदर्शन पटनायक की यह रेत कला हमें यह याद दिलाती है कि ज्ञान का दीपक बुझने न पाए — और शिक्षक ही उस दीपक को प्रज्वलित रखते हैं।


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