उत्तर प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राज्यभर में अनंत चतुर्दशी के अवसर पर पशुवधशालाओं और मीट-मांस की दुकानों को बंद रखने का आदेश जारी किया है। यह निर्णय जैन धर्म के प्रमुख पर्व अनंत चतुर्दशी के मद्देनजर लिया गया है, जिससे राज्य में शांति और सौहार्द का माहौल बनाए रखा जा सके।
जैन धर्म के अनुयायियों के लिए अनंत चतुर्दशी विशेष महत्व रखती है। यह पर्व ‘दशलक्षण’ महापर्व के समापन का प्रतीक है, जो 8 सितंबर से शुरू होकर 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है। इस दौरान जैन धर्म के अनुयायी उपवास, साधना और विशेष पूजा-अर्चना करके इस पवित्र पर्व को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं। इस दिन को लेकर जैन समुदाय में गहरी धार्मिक भावनाएँ और श्रद्धा होती है, और इसे लेकर धार्मिक अनुष्ठानों और समारोहों का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जाता है।
इस विशेष पर्व के दौरान जैन धर्म के अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने के उद्देश्य से, प्रदेश सरकार ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में इस आदेश का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें। सरकार का मानना है कि इस आदेश के माध्यम से धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए राज्य में शांति और सौहार्द बनाए रखना संभव होगा।
नगरीय विकास विभाग ने इस आदेश की जानकारी देते हुए बताया कि यह निर्णय सार्वजनिक शांति और धार्मिक सौहार्द को बनाए रखने के लिए लिया गया है। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि इस आदेश के तहत केवल पशुवधशालाएँ और मीट-मांस की दुकानों को बंद करने का निर्देश है, और इस आदेश का उद्देश्य धार्मिक पर्व के दौरान किसी भी प्रकार की आपत्ति या विवाद से बचना है।
सरकार के इस कदम को लेकर विभिन्न क्षेत्रों में mixed प्रतिक्रियाएँ मिल रही हैं। जैन समुदाय के लोग इस निर्णय का स्वागत कर रहे हैं और इसे अपनी धार्मिक भावनाओं की मान्यता के रूप में देख रहे हैं। दूसरी ओर, कुछ अन्य वर्गों ने इस आदेश पर सवाल उठाए हैं, और उनका मानना है कि यह व्यापारिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाता है जो उनकी आजीविका से जुड़ी हुई हैं।
हालांकि, सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है—राज्य में धार्मिक सौहार्द और शांति बनाए रखना। अनंत चतुर्दशी के दिन की धार्मिक महत्ता को ध्यान में रखते हुए इस निर्णय को सही ठहराया जा सकता है, और इसके प्रभावी क्रियान्वयन से उम्मीद की जाती है कि प्रदेश में धार्मिक सहिष्णुता और सांप्रदायिक सौहार्द की भावना को प्रोत्साहित किया जा सकेगा।
इस प्रकार, उत्तर प्रदेश सरकार का यह निर्देश धार्मिक संवेदनशीलता और सार्वजनिक शांति के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है, और इसे लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाओं की निगरानी जारी रहेगी।

