जयपुर में हाल ही में आयोजित एक राम कथा के दौरान जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ने हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए आचार्य रामचंद्र दास और बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण के साथ मिलकर काम करने की बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि आचार्य रामचंद्र दास और धीरेंद्र कृष्ण उनके लिए दो आंखों के समान हैं, जो हिंदू राष्ट्र के निर्माण में उनके साथ चलेंगे। इस बयान ने धार्मिक और राजनीतिक हलकों में हलचल मचाई है और भारतीय समाज में एक नई दिशा की ओर इशारा किया है।
स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ने राम कथा के दौरान हिंदू राष्ट्र की आवश्यकता और महत्व पर गहरी चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत को एक सशक्त हिंदू राष्ट्र बनाने की दिशा में आचार्य रामचंद्र दास और धीरेंद्र कृष्ण का साथ बेहद महत्वपूर्ण होगा। स्वामी रामभद्राचार्य का यह बयान एक प्रकार से यह संकेत देता है कि हिंदू धर्म के विचारक और संत मिलकर एक समान उद्देश्य के तहत समाज और देश को एक नया दिशा देने के लिए काम कर रहे हैं।
आचार्य रामचंद्र दास और धीरेंद्र कृष्ण का नाम विशेष रूप से चर्चा में तब आया जब बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण के बारे में कई लोग उन्हें एक धार्मिक नेता और समाज सुधारक के रूप में पहचानने लगे। वहीं आचार्य रामचंद्र दास भी भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। दोनों ही व्यक्ति धार्मिक और सामाजिक मामलों में गहरी रुचि रखते हैं और उनके अनुयायी बड़ी संख्या में हैं।
स्वामी रामभद्राचार्य ने यह भी कहा कि हिंदू धर्म को पुनः अपने गौरवमयी स्थान पर स्थापित करने के लिए यह तीनों व्यक्ति मिलकर काम करेंगे। उनका मानना था कि हिंदू धर्म की मूल पहचान और संस्कृति को बचाने के लिए एकजुट होना जरूरी है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह सहयोग धार्मिक रूप से प्रेरित है और इसका उद्देश्य समाज में एकता और सद्भाव को बढ़ावा देना है।
स्वामी रामभद्राचार्य का यह बयान उस समय आया है जब भारत में धर्म और राजनीति के बीच जटिल संबंधों पर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। कुछ लोग इसे हिंदू धर्म के पक्ष में उठाए गए कदम के रूप में देख रहे हैं, जबकि अन्य इसे एक राजनैतिक एजेंडा से जोड़कर देख रहे हैं। हालांकि, स्वामी रामभद्राचार्य ने इस बात को स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य केवल और केवल धार्मिक एकता और हिंदू समाज को प्रगति की दिशा में मार्गदर्शन करना है।
स्वामी रामभद्राचार्य के इस बयान ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि धार्मिक नेता समाज में गहरी भूमिका निभा सकते हैं और देश की दिशा और दशा में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। उनके इस दृष्टिकोण से यह भी स्पष्ट होता है कि धर्म और समाज के बीच का रिश्ता बहुत महत्वपूर्ण है, और इसका सही दिशा में उपयोग करने से समाज में एकता और समृद्धि आ सकती है।
आखिरकार, स्वामी रामभद्राचार्य का यह बयान हिंदू राष्ट्र के निर्माण की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हो सकता है, जिसमें समाज के हर वर्ग को एकजुट कर एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र की ओर बढ़ने का मार्गदर्शन मिलेगा।